गुरुवार, 6 अक्तूबर 2011

" अपराध बोध "

सदैव हमारे हृदय में जीवंत स्वर्गीय नाना जी को समर्पित.....
नाना जी और मैं "

ये जानते हुए भी कि एक दिन जाना है सभी को,
उसी तरह आप भी कभी छोड़ जाओगे मुझे,
ना जाने क्यों मन में अन्धकार सा छा जाता है,
कोशिश करता हूँ न रोऊँ, न चीख पुकार करूँ
खुद को कर लूं इतना कठोर कि किसी के जाने पर,
सत्य को सहजता से स्वीकार करूँ ||

करूं स्वीकार सृष्टि के इस नियम को,
किसी भी परिस्थिति में ना खोऊं अपने संयम को,
किसी के चले जाने के बाद भी,
याद रखूं उसके जीवन को,

लेकिन आज,
अचानक आप हमे छोड़ गए,
इस माया-बंधन को तोड़ गये,
पाता हूँ अपने को अपराधग्रस्त,
ना मिला आपसे अंत वक़्त,
सोचा था किसी रोज़ आऊंगा,
एक नयी उमंग,एक नयी जीत,
कुछ नयी-नयी खुशियाँ लाऊंगा,
पर अनजाने ऐसी भूल हुई, ह्रदय विदारक शूल हुई,
जिस पर लगता है जीवन भर मैं,
निर्झर अश्रु बहाऊंगा
लेकर जीवन भर यही बोझ, मैं किस-किस को समझाऊंगा,

कि
मैंने ऐसा सोचा ना था,
एक दिन भी गया नहीं ऐसा,
जब मैं स्व को कोसा ना था,
इस दुर्घटना ने ऐसा आघात किया,
मन को ऐसा संताप दिया,
मानो अपने में पूरा एक, आशा का संसार गया,
फिर सोचा अपने उस निश्चय को,
आखिर मैं इतना रोया क्यों,
क्या भूल गया उस सत्य को मैं,
जिसमे विलीन होना सब को,
फिर लगा,
कि मैं इंसान ही हूँ, विदेह, देव, भगवान् नहीं,
माया बंधन में बंधा हुआ, सुख और दुःख से निष्प्राण नहीं ||
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मेरी यह कविता या यूँ कहें कि क्षमापत्र समर्पित है मेरे पूज्यनीय नाना जी को जिनका दिनांक 05 अक्टूबर 2011, रात्रि करीब 10:00 बजे देहांत हो गया | मैं अंत समय उनके दर्शन से वंचित रह गया | मुझे इस बात का आभास है कि मुझसे भूल हुई, परन्तु ईश्वर जनता है मैंने ऐसा जानबूझ कर नहीं किया | वे काफी अरसे से बीमार चल रहे थे परन्तु स्थिर अवस्था में थे, परन्तु सब कुछ इतना अचानक होगा मुझे इस बात का अंदेशा नहीं था |  मैं उनसे मिलना चाहता था | सोचा था जब भी उनसे मिलूँगा तो उन्हें अपनी नौकरी की खबर दूंगा, जिसके लिए वे कब से आस लगाये बैठे थे | लेकिन ईश्वर के पास शायद इतना समय नहीं था उन्हें देने के लिए | मुझे ये पता था कि उनके पास ज्यादा समय नहीं है लेकिन इतना कम समय...!!! इस समय मैं अपने में एक अपराधी को देख रहा हूँ जिसने सब कुछ पता होते हुए भी अपराध किया है | मुझे परिस्थितियों का पता था लेकिन इस आकस्मिक अनहोनी का ज़रा भी भान न था | मैं क्षमा प्रार्थी हूँ उन सभी स्वजनों से जिन्हें मेरी इस गलती से दुःख पंहुचा हो |
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