मंगलवार, 28 जुलाई 2015

अलविदा..!!

"आज आसमां भी पूरा दिन रोया है,
शायद वो जान गया कि,
मेरे देश ने कलाम खोया है..!!"

"कुछ लोगों को भारत रत्न की वजह से सम्मान मिला, किसी की वजह से भारत रत्न को सम्मान मिला।"

"अब पता चला आसमान बरस नहीं रो रहा था,
वो जानता था एक फरिश्ता आज हमेशा के लिए सो रहा था।"

"बहुत मुश्किल है कोई यूं वतन की जान हो जाए,
तुम्हें फैला दिया जाए तो सारा हिन्दोस्तान हो जाए।"

"आँखें अरुणान्चल, दिल दिल्ली, पैरों में रामेश्वरम का सलाम हो गया,
आज सारा मुल्क कलाम हो गया।"
और ना जाने क्या-क्या...!!!

"अबुल पाकिर जैनुल आबिदीन अब्दुल कलाम"...जितना बड़ा नाम उससे कहीं ज्यादा बड़ी शख़्सियत।  ऊपर कही गयी पंक्तियों में से एक भी मैंने नहीं कही। फिर भी मेरे साथ पूरी दुनिया की शायद यही भावनाएं हैं आज, जो अपने-अपने तरीकों और अपने-अपने शब्दों में व्यक्त हो रही हैं। मैं ज्यादा कुछ नहीं कह पा रहा इसलिए बस तीन शब्द जो कल भी कहे थे---
"अपूरणीय क्षति...श्रद्धांजली"

और कह भी क्या सकता हूँ क्योंकि जो गया वो ऐसा नहीं है जो कुछ शब्दों में सिमट जाए। वो सच में सारा हिन्दोस्तान है, और पूरे हिन्दोस्तान जो कुछ शब्दों में कह पाना संभव नहीं। लेकिन कुछ लोगों ने कोशिश की ऐसा करने की और हिन्दोस्तान को एक शब्द में बयान करने चले तो एक ही शब्द मिला---"कलाम"। अतिशयोक्ति नहीं है यह, और ना ही झूठा महिमामंडन। गांधी जी ने कहा था मेरा जीवन ही मेरा संदेश है। मुझे और किसी और को भी यह कहने में गुरेज नहीं की आप का जीवन भी आपका संदेश बना है। धर्म, जाति से परे देश को एकजुट रखने का संदेश, आगे बढ़ते रहने का संदेश, सपने देखने का संदेश, सपनों को सच करने का संदेश, विध्वंस निर्माण की क्षमता रखते हुये भी शांति का संदेश, यही है आपका जीवन। हाँ...है, आपके लिए 'था' शब्द इस्तेमाल नहीं करना चाहता क्योंकि आपके जाने को मानने का मन नहीं कर रहा। 

"अब से हर शख्स अपने बच्चे को कलाम कहेगा,
इसी जरिये ये मुल्क तुम्हें सलाम कहेगा..!!"

कभी नहीं मिला आपसे, आपकी किताबें भी नहीं पढ़ी कभी, लेकिन फिर भी आपकी कही बातें पढ़ता-सुनता रहता था गाहे-बगाहे। हर शब्द अपने में ऊर्जा से भरा हुआ, विश्वास से लबरेज। शचीन्द्र ने कहा कोई उपलब्धि साझा कर दो इनकी, लेकिन कौन सी ये नहीं बताया। जिनका होना स्वयं में एक उपलब्धि हो, उनकी और कौन से उपलब्धि साझा करें। निर्विवाद, निश्छल, निष्कपट व्यक्तित्व "कलाम को सलाम"!!

निदा फाजली की ये लाईने आज आपके लिए भी उतनी ही हैं जितनी उनके पिता के लिए थी। 

"तुम्हारी कब्र पर
मैं फातिहा पढ़ने नहीं आया
मुझे मालूम था
तुम मर नहीं सकते
तुम्हारी मौत की सच्ची ख़बर जिसने उड़ाई थी
वो झूठा था
वो तुम कब थे
कोई सूखा हुआ पत्ता हवा से हिल के टूटा था"